बूढ़े गिद्ध की सलाह हिंदी कहानी
बूढ़े गिद्ध की सलाह हिंदी कहानी

एक बार गिद्धों का झुण्ड उड़ता-उड़ता एक टापू पर जा पहुँचा | वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था | वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव रहते थे | इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी | सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था | गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे | इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था |
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उस झुण्ड में अधिकांश गिद्ध युवा थे | वे सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना है | यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन कहीं नहीं मिलेगा |
लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध भी था | वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता | वह सोचता कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर क्या असर पड़ेगा ? क्या ये वास्तविक जीवन का अर्थ समझ पाएंगे ? यहाँ इनके सामने किसी प्रकार की चुनौती नहीं है | ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे ?
बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई | अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं | मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं | यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं | ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे |”
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युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी | उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है | इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है | उन्होंने टापू की आराम की ज़िन्दगी छोड़कर जाने से मना कर दिया |
बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो | ऐसे में मुसीबात आई, तो क्या करोगे? मेरे बात मानो, मेरे साथ चलो |”
लेकिन किसी ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी | बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया | कुछ महीने बीत जाने के बाद , एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की ख़ोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुँचा |
टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था | जहाँ देखो, वहाँ गिद्धों की लाशें पड़ी थी | कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे | हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालात कैसे हुई?”
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घायल गिद्ध ने बताया, “आपके जाने के बाद हम इस टापू पर बड़े मज़े की ज़िन्दगी जी रहे थे | लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आया | उस जहाज से यहाँ चीते छोड़ दिए गए | शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया | लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें आभास हुआ कि हम उड़ना भूल चुके हैं | हमारे पंजे और नाखून इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया | उनके ही कारण हमारा ये हाल है | शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है |”
कहानी से सीख :- हमें अचानक आरामदायक जीवन मिल जाने पर मेहनत करना और चुनोतियों से लड़ना नहीं भूलना चाहिए |
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