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कछुए की कहानी-पंचतंत्र हिंदी कहानी

कछुए की कहानी-पंचतंत्र 


kachhuye ki kahani in hindi

      एक बार कि बात है एक बड़ी नदी के पास कुछ दो -चार मील कि दूरी पर एक पोखर में कई जल जीव रहते थे | उनमें एक कछुआ भी था | सभी जलजीव अपनी इच्छानुसार जब चाहे नदी कि सैर कर आते थे | प्रकृति कि देन है कि  जब जलजीवो  पर कोई संकट आता है तो उन्हें संकट का  पूर्भावास हो जाता है |

               एक समय ऐसा आया कि पोखर का जल सूखने लगा तब एक कछुए को छोड़ कर सभी जल जीवो ने संकट काल देखते हुए  नदी में जाने का निर्णय कर लिया और सभी जीव नदी में चले गए ,परन्तु कछुए ने सोचा कि मैं बचपन से यही रहा हूँ मेरे माता-पिता भी यही रहे तो मैं क्यों इस पोखर को छोड़ कर अन्य स्थान पर जाऊ ? जो होगा देखेगे ऐसा विचार कर कछुआ नहीं गया ! समय बीता और एक दिन ऐसा आया कि पोखर का सारा जल सूख गया और पोखर दलदल में बदल गया |

          एक दिन एक कुम्हार और उसके मित्र चिकनी मिट्टी कि तलाश में उस पोखर के पास आये तो मिट्टी देख कर कुदाल से मिट्टी निकलने लगे और अपनी टोकरियो में भरने लगे तभी कुम्हार कि कुदाल कछुए के सिर पर लगी और कछुआ अपनी अंतिम सांसे गिनने लगा और अपनी भूल का पछतावा करने लगा, थोड़ी ही देर में काल के गाल में समा गया |

कहानी से सीख :-  हमें समय के साथ अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहिए  |

कहानी का स्रोत :- कहानी पंचतंत्र कहानियों पर आधारित है |

Translate into english :-  Once upon a time, several water creatures lived in a puddle some two-four miles near a big river. There was also a turtle in them. All the aquatic animals used to visit the river whenever they wanted. It is a gift of nature that when there is a crisis on the aquatic animals, then they get the confidence of the crisis.

          There came a time when the water of the puddle started drying up, then all the water creatures except a turtle decided to go into the river in view of the crisis and all the creatures went into the river, but the turtle thought that I had been since childhood If my parents remain the same then why should I leave this puddle and go to another place? The tortoise did not go thinking that it will happen! Time passed and one day it came that all the water from the pokhar dried up and turned into a puddle swamp.
          One day a potter and his friends came to that puddle in search of clay, seeing the soil, they started coming out of the mud and filling it in their baskets, when the potter's hoe hit the turtle's head and the turtle counted his last breath and his Started regretting the mistake, in a short    time,  it got absorbed in Kaal's cheek.

Learn from the story: - We should change our nature with time.

Source of the story: - This story is based on the stories of Panchatantra

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