साधू और चूहा -हिंदी शिक्षाप्रद कहानी
साधू और चूहा

प्राचीन काल में एक गाँव के पास भगवान शिव का एक मंदिर था। वहां एक पवित्र ऋषि रहते थे और मंदिर की देखभाल करते थे। वे भिक्षा के लिए गाँव में हर रोज जाते थे, और भोजन के लिए शाम को वापस आते थे। वे अपनी आवश्यकतानुसार धन अपने पास रख लेते थे और बाकि का बर्तन में डाल कर गरीब मजदूरों में बाँट देते थे जो बदले में मंदिर की साफ-सफाई करते थे और उस धन से मंदिर की सजावट का काम किया करते थे।
उसी आश्रम में एक चूहा भी अपने बिल में रहता था और प्रतिदिन कटोरे में से कुछ न कुछ भोजन चुरा कर अपने बिल में ले जाता था।
एक बार साधु को अनुभव हुआ कि एक चूहा भोजन चोरी करता है और अपने बिल में ले जाता है तो उन्होंने इसे रोकने के लिए सभी तरह के उपाय किये । उन्होंने कटोरे को काफी ऊंचाई पर रखा ताकि चूहा वहां तक पहुँच न सके, और यहां तक कि एक छड़ी के साथ चूहे को मार भगाने की भी कोशिश की, लेकिन चूहा किसी भी तरह कटोरे तक पहुंचने का रास्ता ढूंढ लेता और कुछ भोजन चुरा लेता था।
एक दिन, एक मुनि मंदिर दर्शन करने के लिए आये थे। लेकिन साधु का ध्यान तो चूहे को डंडे से मारने में था और वे मुनि से मिल भी नहीं पाए, इसे अपना अपमान समझ मुनि क्रोधित होकर बोले- आपके आश्रम में फिर कभी नहीं आऊंगा क्योंकि लगता है मुझसे बात करने के अलावा आपको अन्य काम ज्यादा महत्वपूर्ण लग रहा है।
साधु विनम्रतापूर्वक चूहे से जुडी अपनी परेशानियों के बारे में मुनि को बताते हैं, कि कैसे चूहा उनके पास से भोजन किसी न किसी तरह से चुरा ही लेता है, “यह चूहा किसी भी बिल्ली या बन्दर को हरा सकता है अगर बात मेरे कटोरे तक पहुंचने कि हो तो मैंने हर संभव प्रयास कर लिया हैं लेकिन वो हर बार किसी न किसी तरीके से भोजन चुरा ही लेता है।
मुनि ने साधु की परेशानियों को समझा, और सलाह दी, चूहे में इतनी शक्ति, आत्मविश्वास और चंचलता के पीछे अवश्य ही कुछ न कुछ कारण होगा।
मुझे विश्वास है कि इसने बहुत सारा भोजन जमा कर रखा होगा और यही कारण है कि चूहा अपने आप को बड़ा महसूस करता है और इसी से उसे ऊँचा कूदने कि शक्ति मिलती है। चूहा जानता है कि उसके पास कुछ खोने के लिए नहीं है इसलिए वो डरता नहीं है।
इस प्रकार, साधू और मुनि निष्कर्ष निकालते है कि अगर वे चूहे के बिल तक पहुंचने में सफल होते है तो वे चूहे के भोजन के भंडार तक पहुंचने में सफल हो जाएंगे। उन्होंने निर्णय लिया कि अगली सुबह वो चूहे का पीछा करेंगे और उसके बिल तक पहुंच जाएंगे।
अगली सुबह वो चूहे का पीछा करते हैं और उसके बिल के प्रवेश द्वार तक पहुंच जाते है। जब वो खुदाई शुरू करते है तो देखते हैं की चूहे ने अनाज का एक विशाल भंडार बना रखा है, तुरंत ही साधु ने सारा चुराया गया भोजन एकत्र करके मंदिर में रखवा लिया है।
चूहा वापस आने पर अपना सारा अनाज गायब देख बहुत दुखी हुआ और उसे इस बात से गहरा झटका लगा और उसने सारा आत्मविश्वास खो दिया।
अब चूहे के पास भोजन का भंडार नहीं था, फिर भी उसने फैसला किया कि वो फिर से रात को कटोरे से भोजन चुराएगा। लेकिन जब उसने कटोरे तक पहुँचने की कोशिश की, तब वह धड़ाम से नीच गिर गया और उसे यह अनुभव हुआ कि अब न तो उसके पर शक्ति है, और न ही आत्मविश्वास।
उसी समय साधु ने भी छड़ी से उस पर हमला किया। किसी तरह चूहे ने अपनी जान बचायी और भागने में सफल रहा और फिर वापस मंदिर कभी नहीं आया।
कहानी से सीख :- यदि किसी मनुष्य के पास संसाधनों की कमी न हो तो उसमें अद्भुत शक्तियों और आत्मविश्वास की कमी कभी नहीं आ सकती।
Post Comment
कोई टिप्पणी नहीं
Do not publish spam comments