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जादुई तलवार- शिक्षाप्रद कहानी

 जादुई तलवार


jadui-talwar

        बहुत समय पहले एक आश्रम  में अर्जुन नाम का लड़का था जो अन्य शिष्यों कि अपेक्षा कमजोर था | एक दिन आश्रम में  तलवारबाजी सिखाई जा रही थी और रोज ही की तरह अर्जुन अपने अंदर के डर के कारण तलवार नहीं चला पा रहा था। गुरु जी ने उसे बहुत बार समझाया कि जब तक वह अपने अन्दर के डर को बाहर  नहीं निकाल देता। तब तक वह तलवारबाजी नहीं कर सकता।


    लेकिन किसी का  स्वाभाव बदलना इतना आसान नहीं  होता | ऐसा नहीं था कि वह तलवारबाजी जानता नहीं था। गुरूजी ने उसे खुद देखा था जब वो अकेले में अभ्यास कर रहा था। बहुत ही बढ़िया ढंग से तलवार चला रहा था। लेकिन जैसे ही किसी से मुकाबला करवाया जाता वह तलवार नही चला पाता।


  अर्जुन अपने गुरु का बहुत प्यारा शिष्य था। इसका कारण यह था कि वह हर काम में आगे था। बस अगर उसमें कोई कमी थी तो वो ये की वह अब तक मुकाबले में तलवार चलानी नहीं सीख पाया था।


        जब भी वह तलवार चलानी सीखने जाता तब-तब सामने वाले के हाथों में तलवार देख कर उसके पसीने छूट जाते। उसके हाथ कांपने लगते।


एक दिन गुरु जी ने अर्जुन को अकेले में अपनी कुटिया में बुलाया और बोले- “मैंने बहुत प्रयास किया कि तुम तलवार चलानी सीख लो। लेकिन तुम अपने भय को अपने अंदर से निकाल नहीं पा रहे हो।“


        यह सुनकर अर्जुन ने कहा- “गुरुदेव मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूँ कि ऐसा क्यों होता है। सामने वाले के हाथों में तलवार देख मुझे ऐसा लगता है जैसे वो अभी मेरा सर धड़ से अलग कर देगा।”


तब गुरूजी ने कहा- “मुझे पता है अर्जुन। इसीलिए आज मैंने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है।”


इतना कहते हुए उन्होंने एक तलवार उठायी और अर्जुन को दिखाते हुए बोले- “ये जादुई तलवार है जो मुझे मेरे गुरुदेव ने दी थी। इस तलवार को चलाने वाला कभी भी हारता नहीं है। तुम मेरे प्रिय शिष्य हो इसलिए आज मैं यह तलवार तुम्हें सौंप रहा हूँ। आशा करता हूँ ये तुम्हारे काम आएगी।”


        गुरु जी अर्जुन को तलवार दे देते हैं और यह बात पूरे आश्रम में फ़ैल जाती है कि गुरु देव ने अर्जुन को जादुई तलवार दी है।


        अगले दिन जब अर्जुन वह जादुई तलवार लेकर अभ्यास करने जाता है तो सब देख कर हैरान रह जाते हैं। यह अर्जुन पुराना अर्जुन नहीं था। उसके अन्दर आज एक अलग ही जोश था। ऐसा लग रहा था मानो कोई नौसिखिया नहीं बल्कि कोई हुनरबाज़ तलवार चला रहा हो।


        कारण सब जानते थे। आज अर्जुन के पास जादुई तलवार जो थी। अर्जुन एक पल के लिए घबराया जरूर था लेकिन उसे गुरु की बात याद आ गयी की इस तलवार को चलने वाला कभी हरता नहीं।


अभ्यास समाप्त हुआ फिर भी सब शांत ही खड़े थे। गुरु जी ने अर्जुन की प्रशंसा करते हुए कहा- “आज तुम्हारी मेहनत रंग लायी।”


        गुरु जी को रोकते हुए वहां खड़े शिष्यों में से एक ने कहा-  “लेकिन गुरुदेव कमाल तो जादुई तलवार का था जो आपने अर्जुन को दी है।”


          गुरूजी ने मुस्कुराते हुए कहा- जादुई तलवार? कौन सी जादुई तलवार? ये कोई जादुई तलवार नहीं है। हाँ ये मैंने दी जरूर है लेकिन इसमें कोई जादू नहीं हैं। अगर आज कोई जादू हुआ है तो वो है अर्जुन के अन्दर से डर का छू मंतर होना।


        तब शिष्यों ने पुछा “क्या मतलब?” गुरूजी , मतलब ये कि ये तलवार प्राप्त कर अर्जुन को यह लगने लगा कि यह जादुई तलवार है। लेकिन ऐसा कुछ था ही नहीं। अर्जुन ने बस मेरे बोले गए शब्दों पर विश्वास किया। और अगर सच्चाई देखी जाए तो जादू तलवार में नहीं मेरे शब्दों में था जिसने अर्जुन को भयमुक्त बना दिया।

अब असली बात सब को समझ आ गयी थी।

कहानी से सीख :- अगर कोई जादू होता है तो हमारे अन्दर ही होता है। हमारे शब्दों में होता है। कई बार हमारे शब्द ही किसी का जीवन बदल देते हैं।

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