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लालच -हिंदी शिक्षाप्रद कहानी

 लालच


Lalach

        एक गाँव में एक बहुत ही गरीब मजदूर  गोपाल  रहता था। वह दिन में मजदूरी करता और सुबह शाम भगवान का नाम लेता। उसकी एक अच्छी आदत थी कि यदि उसके पास खाने के लिए रोटी होती और उसे कोई मांग लेता तो वह बिना संकोच अपनी रोटी उसे दे देता था। भले ही बाद में उसके पास खाने के लिए कुछ न बचता हो। बस कभी-कभी उसके मन में यह विचार आ जाता था कि भगवान उस पर दया क्यों नहीं करते? जिससे उसकी गरीबी दूर हो जाए।


        अपनी दिनचर्या अनुसार  एक दिन वह मजदूरी के लिए गाँव से बाहर जा रहा था। रास्ते  में उसे एक बाबा मिले। बेटा ! बहुत दिनों से भूखा हूँ। कुछ खाने के लिए हो तो दे दो। बाबा के इतना कहने की देर थी कि बस गोपाल ने झट से अपनी पोटली में बंधी रोटी उस  बाबा को दे दी और वहाँ से बिना कुछ कहे सुने आगे बढ़ गया।

        अगले दिन जब फिर गोपाल उसी रास्ते से जा रहा था तब वही बाबा उसे फिर दिखाई दिए।  बाबा आज कुछ खाने को मिला या नहीं ? यह सुन गोपाल ने फिर से अपनी रोटी दी और बोला,
 लो बाबा, ऊपर वाला मेरी तो सुनता नहीं लेकिन तुम्हारी सुन ली उपरवाले ने। ये लो रोटी। गोपाल ने बाबा के पास रुकते हुए कहा।



        तब बाबा ने कहा - “अभी तक तो कुछ नहीं मिला बेटा। जब ऊपर वाले की मर्जी होगी वो तभी देगा।” फिर  बाबा ने पोटली हाथ में डालते  हुए गोपाल से कहा- “बेटा आज के समय में तेरे जैसा इन्सान बहुत मुश्किल से मिलता है। मै तुझसे बहुत खुश हूँ। आज तेरी भी ऊपर वाला सुनेगा। तू कोई भी तीन चीज मांग ले मुझसे। तेरी सारी मनोकामना पूरी होगी।”


        गोपाल ने मन ही मन सोचा कि शायद बाबा मजाक कर रहे हैं। तो उसने भी उसी तरह जवाब देते हुए कहा- बाबा ! मैं एक  गरीब मजदूर हूँ, मेरा  टूटा-फूटा घर है। गरीबी इतनी है कि कई बार तो भूखे ही सोना पड़ता है। करना है तो कुछ ऐसा करिए कि मेरा एक सुन्दर सा घर बन जाए और खाने-पीने की कोई कमी न रहे।

           यह सुनकर बाबा ने कहा “बेटा तू घर जा, तेरा आज का खाने का इंतजाम हो चुका है और दो  चीजें  क्या चाहिए बोल।” अब तो गोपाल को पूरा विश्वास हो चुका था कि वह बाबा मजाक ही कर रहें हैं। इसलिए आगे बिना कुछ कहे गोपाल आगे बढ़ गया।


        शाम को गोपाल जब काम से थकहार कर घर लौटा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी। उसके घर की जगह एक बहुत ही सुन्दर ईमारत बन चुकी थी। उसने अपनी पत्नी से इसके बारे में पुछा तो उसने बताया कि  सुबह कुछ देर के लिए मुझे चक्कर आया और मैं बेहोश हो गई। जब होश आया तो देखा कि यहाँ पर हमारे घर की जगह ये नया घर था।

        गोपाल माथे पर हाथ रख नीचे बैठते हुए बोला- “बाबा सच बोल रहे थे।”  तब उसकी पत्नी ने पूछा -  कौन बाबा? क्या बोल रहे थे? क्या बड़बड़ा रहे हो तुम? कुछ बताओगे मुझे भी?


        गोपाल ने अपनी पत्नी को सब कुछ बताया। सब सुनते ही गोपाल को पत्नी को भी विश्वास न हुआ। उसने भी बाबा की परीक्षा लेने के लिए गोपाल को भेजा। उसकी पत्नी ने उसे इस बार उसके लिए गहने मांगने के लिए कहा।


        अगले दिन गोपाल की पत्नी ने रोटियां बना कर दीं। इस बार यह रोटी श्रद्धाभाव से नहीं बल्कि लालच वश बनाई गयी थीं। गोपाल बाबा के पास गया और जैसा उसकी पत्नी ने कहा था उसने वैसा ही किया।


गोपाल कि बात सुनकर बाबा ने कहा- “बेटा मैंने तुम्हें तीन  चीजें मांगने के लिए कहा था। एक तुम मांग चुके हो। दूसरा तुम अब मांगने आये हो। तीसरी चीज सोच समझ कर मांगना। लालचवश कुछ भी मत मांगना। वही मांगना जिसकी तुम्हें जरूरत हो। बिना दाम के मिला हुआ सामान समस्या को आमंत्रण दे सकता है।”


        गोपाल तो बाबा के चमत्कार के आगे न कुछ सुन पा रहा था न ही कुछ समझ पा रहा था। उसके मन पर लालच का पर्दा पड़ चुका था।


बाबा ने गोपाल को  बताया कि - “यहाँ से कुछ दूर एक बरगद का पेड है। उसके नीचे ही एक छोटा पौधा उग रहा है। तुम उस पौधे के नीचे खोदोगे तो तुम्हें सोने के गहने मिल जाएँगे।” बाबा के यह बताने पर गोपाल रोटियां देकर वहां चला गया। 

       गोपाल बाबा के बताये अनुसार उस बरगद के पेड़ के पास गया और वहां से गहने लेकर  घर चला गया।


        दो  दिन में गोपाल का रहन-सहन बदल गया था। फटे-पुराने कपड़ों की जगह अब वह महंगे कपड़े पहने हुए था। अब न ही वो मजदूरी कर रहा था और न ही भगवान को याद कर रहा था। अहंकार उसके सिर चढ़ चुका था। इसकी खबर आस-पास के गाँव में जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी थी। लोग दूर-दूर से उसे देखने आने लगे कि कैसे एक मजदूर ने रातों-रात घर बनाया और इतना अमीर हो गया। कुछ लोगों को तो लगा कि शायद उसे कोई गड़ा हुआ खज़ाना मिला होगा। लेकिन मुख्य सवाल यह था कि रातों-रात उसका घर कैसे बन गया।
 
        यह खबर पहुँचते-पहुँचते  उस राज्य के राजा के पास पहुंची। राजा ने उस मजदूर को अपने दरबार में बुलाया। जब उन्होंने गोपाल से पूछा कि उसे ये पैसा कैसे मिला और उसने घर कैसे बना लिया। तब गोपाल ने अपनी सारी आप-बीती बताई। राजा को उसकी बात पर विश्वास न हुआ।


            राजा के दरबार में गोपाल पर चोरी का इल्जाम लगा। उस पर ये आरोप भी लगा कि उसके पास कोई जादुई शक्ति है जिसका वह गलत इस्तेमाल कर रहा है। यह शक्ति राज्य के लिए खतरनाक वही हो सकती है। इस लिए गोपाल को जल्दी ही मौत की सजा दे देनी चाहिए।


        गोपाल उस समय रोने और गिड़गिड़ाने लगा।और कहने लगा - महाराज ! मैं सच बोल रहा हूँ। मैंने कुछ नहीं किया। ये सब उन बाबा का चमत्कार है। कृपया मुझे अपने आप को बेगुनाह साबित करने का एक मौका दीजिये।


        गोपाल के बार-बार मिन्नतें करने पर राजा ने उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए एक दिन की मोहलत दी और उसके साथ अपने दो  सैनिक भेजे।


        गोपाल सैनिकों के साथ उस बाबा के पास गया और जाते ही उनके पैरों में गिर पड़ा। और बोला - बाबा ! मुझे बचा लीजिये । राजा ने मुझे मौत की सजा दे दी है। मेरी जान बचा लीजिये।


        तब बाबा ने कहा- उठो गोपाल, कुछ नहीं हुआ है तुम ऊपर उठो। गोपाल ने जैसे ही अपना सर उठाया। वह पहले की तरह  साधारण कपड़ों में था। सामने उसे बस एक रौशनी ही दिखाई दे रही थी। फिर उस रौशनी से आवाज आने लगी। “गोपाल, यह सब तुम्हारे लालच का फल था। यदि तुमने लालच न किया होता तो आज तुम्हारी यह हालत नहीं होती। इसी लालच की वजह से तुमने मुझे भी याद करना छोड़ दिया।”


        गोपाल समझ चुका था कि वह बाबा और कोई नहीं स्वयं भगवान् थे। आवाज फिर से बोलने लगी। “जीवन में एक बात  याद रखना गोपाल, संतोष ही सबसे बड़ा धन है। यदि तुम्हारे पास जो कुछ है तुम उस से संतुष्ट हो तो तुम्हें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। किसी भी प्रकार का लालच समस्याओं को जन्म देता है। तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वह तुम्हारे लिए एक शिक्षा है।”


यह सुनकर गोपाल ने कहा- “वो सब तो ठीक है प्रभु, लेकिन अब मैं इस समस्या से बचूंगा कैसे?”  “कैसी समस्या गोपाल? ये सब तो एक मायाजाल था। अपने आस-पास देखो कोई नहीं है। ये सब बस तुम्हें यह समझाने के लिए किया गया था कि लालच सच में बुरी बला है।”


        इतना कहकर वह रौशनी गायब हो गयी। आस-पास सैनिकों को न देख कर गोपाल की सांस में सांस आई। फिर वह दौड़ता हुआ सीधा अपने घर पहुंचा और देखा वहां सब कुछ पहले जैसा था। किसी को कुछ भी याद नहीं था।


कहानी से सीख :- 
संतोष ही सबसे बड़ा धन है। यदि तुम्हारे पास जो कुछ है तुम उस से संतुष्ट हो तो तुम्हें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। किसी भी प्रकार का लालच समस्याओं को जन्म देता है।

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